Apathit Gadyansh For Class 5 with Solutions

यहां इस पोस्ट में Short Apathit Gadyansh For Class 5 पढ़ें, हम कक्षा 5 के हिंदी छात्रों के लिए इस लेख को नियमित रूप से अपडेट करते हैं। यह कक्षा 5 के छात्रों को उनके पढ़ने के कौशल में सुधार करने में मदद करेगा, तथा उनकी समझ को विकसित करेगा


Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश -1

Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 5 (Apathit Gadyansh for class 5) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-

लालची ऊँट

एक बार एक व्यक्ति के पास एक ऊंट था, यह ऊँट बहुत लालची था। एक रात ठंड में जब ऊंट का मालिक अपने तंबू में सो रहा था तब ऊंट ने तंबू के दरवाजे को हिलाया और अपने मालिक से कहा की बाहर बहुत ठंड है कृपा कर मुझे अपनी गर्दन अपने तंबू में रखने दो, मालिक उसकी इस बात को मान लेता है, ऊंट ने अपनी गर्दन तंबू में रख ली।

थोड़ी देर बाद ऊंट अपने मालिक से कहता है की मेरे अगले पैर ठंड के कारण कांप रहे रहे है आपका बड़ा उपकार होगा अगर आप थोड़ा एक तरफ हो जायेंगे ताकि मैं अपने अगले पैर अंदर कर सकूं। मालिक ने ऊंट की ये बात भी मान ली और थोड़ा एक तरफ होकर सो गया, फिर से ऊंट बोला की मेरे पिछले पैर तो ठंड से जम ही गए है, आप कृप्या करके कोने में सो जाओ, ताकि मैं अपने पिछले पैर अंदर कर लूं।

मालिक को सोना था इसलिए वो एक कोने में जा कर सो गया और ऊंट पूरा अंदर आ गया। फिर ऊंट बोला की मेरा शरीर बहुत बड़ा है और तुम्हारा तंबू बहुत छोटा है, तुम्हारी वजह से मैं हिल भी नहीं पा रहा हूं, तुम इस तंबू से बाहर चले जाना चाहिए ताकि मैं आराम से हिल सकू।

उसका मालिक उठ कर बैठ गया और ऊंट को देखकर सोचने लगा की गलती मेरी ही है जो मैंने इसे अपने तंबू में आने दिया, इतने में ही ऊंट ने उसे तंबू से बाहर ठंड में धकेल दिया।

शिक्षा: “लालची व्यक्ति कभी भी संतुष्ट नहीं होता।”

प्रश्न-1. ऊंट का मालिक कहां सो रहा था?

प्रश्न-2. ऊंट ने अपने मालिक से पहली बार क्या कहा?

प्रश्न-3. गर्दन अंदर करने के बाद ऊंट ने अपने शरीर के किस हिस्से को अंदर करना चाहता था?

प्रश्न-4. अंत में ऊंट ने मलिक के साथ क्या किया?

प्रश्न-5. यह कहानी हमें क्या शिक्षा देती है?

अपठित गद्यांश -1 के उत्तर :-

उत्तर-1. ऊंट का मालिक अपने तंबू में सो रहा था।

उत्तर-2.. ऊंट ने अपने मालिक से कहा की बाहर बहुत ठंड है कृपा कर मुझे अपनी गर्दन अपने तंबू में रखने दो।

उत्तर-3. गर्दन अंदर करने के बाद ऊंट अपने अगले पैरों को अंदर करना चाहता था

उत्तर-4. अंत में उठने मलिक को तंबू से बाहर धकेल दिया।

उत्तर-5. यह कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि लालची व्यक्ति कभी संतुष्ट नहीं होता।





Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश -2

Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 5 (Apathit Gadyansh for class 5) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-

एक बार की बात है, एक जंगल में, ओलिवर नाम का एक बुद्धिमान बूढ़ा उल्लू रहता था।  वह एक शानदार बड़े ओक के पेड़ पर रहता था।  ओलिवर के रोएँदार पंख भूरे रंग के थे, और उसकी बड़ी, गोल आँखें ज्ञान से चमकती रहती थीं।

 अक्सर जंगल के जानवर ओलिवर से सलाह लेने के लिए उसके पास आते थे।  जब ओलिवर अपना ज्ञान साझा करता था तो गिलहरियाँ, खरगोश और यहाँ तक कि जिज्ञासु रैकून भी ध्यान से सुनते थे।

 ओलिवर की एक पसंदीदा कहावत थी, “धैर्य जंगल के रहस्यों को समझने की कुंजी है।”  उनका मानना था कि अवलोकन और प्रतीक्षा करके कोई भी प्रकृति से मूल्यवान सबक सीख सकता है।

 जैसे-जैसे समय बीतता गया, जानवरों में न केवल ओलिवर के प्रति सम्मान बढ़ा बल्कि उसके प्रति श्रद्धा भी बढ़ी।  ओलिवर ने सभी जानवरों को  सद्भाव से जीवन यापन करना सिखाया।

प्रश्न-1. इस कहानी में उल्लू का क्या नाम था ?

प्रश्न-2. वह बुद्धिमान उल्लू कहां रहता था?

प्रश्न-3.अक्सर जंगल के जानवर ओलिवर के पास क्यों आते थे ?

प्रश्न-4.ओलिवर की एक पसंदीदा कहावत क्या थी ?

प्रश्न-5. ओलिवर ने सभी जानवरों को क्या सिखाया?

अपठित गद्यांश -2 के उत्तर :-

उत्तर-1. इस कहानी में उल्लू का  नाम ओलिवर था 

उत्तर-2. वह बुद्धिमान उल्लू ओक के पेड़ में रहता था

उत्तर-3. अक्सर जंगल के जानवर ओलिवर से सलाह लेने के लिए उसके पास आते थे।

उत्तर-4. ओलिवर की एक पसंदीदा कहावत थी, कि “धैर्य जंगल के रहस्यों को समझने की कुंजी है।”

उत्तर-5. ओलिवर ने सभी जानवरों को  सद्भाव से जीवन यापन करना सिखाया।





Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश -3

Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 5 (Apathit Gadyansh for class 5) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-

गौतम बुद्ध

गौतम बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु में हुआ था। इनके पिता शुद्धोधन कपिलवस्तु के राजा थे। गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। सिद्धार्थ बचपन से ही दयालु थे। युवावस्था में ही सिद्धार्थ ने अपना घर-परिवार, सुख-

सुविधा और राज-पाट छोड़ दिया और सत्य की खोज में जंगल में तपस्या करने लगे। गौतम बुद्ध को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी व बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की शुरुआत की थी।

प्रश्न-1.गौतम बुद्ध का जन्म कहा हुआ था ?

प्रश्न-2.गौतम बुद्ध के बचपन का नाम क्या था?

प्रश्न-3. गौतम बुद्ध के पिता क्या नाम था और वो कहां के राजा थे ?

प्रश्न-4.गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहां हुई थी ?

प्रश्न-5. बौद्ध धर्म की शुरुआत किसने थी ?

अपठित गद्यांश -3 के उत्तर :-

उत्तर-1. गौतम बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु में हुआ था।

उत्तर-2. गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था।

उत्तर-3. गौतम बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोधन था ये कपिलवस्तु के राजा थे।

उत्तर-4. गौतम बुद्ध को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

उत्तर-5. गौतम बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की शुरुआत की थी।





Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश -4

Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 5 (Apathit Gadyansh for class 5) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-

चींटी और तोता

एक बार, गर्मी से परेशान एक चींटी पानी ढूंढ रही थी। थोड़ी देर यहाँ- वहां भटकने के बाद वह एक नदी के पास पहुंची। नदी तक पहुँचने के लिए उसे घास के एक तिनके पर चढ़ना पड़ा। तिनके के ऊपर चढ़ते समय उसका पैर फिसल गया और वह नदी में गिर गई।

पास में ही बरगद के पेड़ पर बैठा एक तोता यह सब देख रहा था। चींटी को मुसीबत में देखकर, उस तोते ने जल्दी से एक पत्ता तोड़ा और उसे संघर्ष कर रही चींटी के पास पानी में गिरा दिया। चींटी पत्ते की ओर बढ़ी और उसके उपर चढ़ गई। जल्द ही यह पत्ता उसे सुरक्षित रूप से सूखी जमीन पर ले गया। ठीक उसी समय, पास में ही एक शिकारी उस तोते को अपने जाल में फँसाने की आशा से अपना जाल उसकी ओर फेंकने ही वाला था।

चींटी उस शिकारी के इरादे को समझ गयी, तोते को उस शिकारी के जाल से बचाने के लिए चींटी ने तुरंत उसके पैर पर काट लिया। दर्द महसूस करते हुए शिकारी ने अपना जाल निचे फेंक दिया। तोता यह सब देखकर तुरंत वहां से उड़ गया और किसी सुरक्षित स्थान पर जा कर बैठ गया।

सीख- “कर भला तो हो भला”

प्रश्न-1 गर्मी से परेशान चींटी क्या ढूंढ रही थी।

प्रश्न-2 यहाँ- वहां भटकने के बाद वो चींटी कहाँ पहुंची।

प्रश्न-3 चींटी को पानी में डूबने से किसने बचाया?

प्रश्न-4 तोते को जाल में फंसने से किसने बचाया?

प्रश्न-5 इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

अपठित गद्यांश -4 के उत्तर :-

उत्तर-1. गर्मी से परेशान चींटी पानी ढूंढ रही थी।

उत्तर-2.यहाँ- वहां भटकने के बाद वह एक नदी के पास पहुंची।

उत्तर-3.चींटी को पानी में डूबने से तोते ने बचाया।

उत्तर-4.तोते को जाल में फंसने से चींटी ने बचाया।

उत्तर-5. इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि “कर भला तो हो भला”।





Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश -5

Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 5 (Apathit Gadyansh for class 5) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-

महावीर स्वामी

महावीर स्वामी, जिनके चौबीसवें तीर्थंकर के रूप में विश्व में पूजे जाते हैं, भारतीय समाज के अनमोल धरोहर में से एक हैं। उनका जन्म वैशाली के कुण्डग्राम में हुआ था और उनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था वे, इनकी जन्मतिथि चैत्र सुदी त्रयोदशी थी

उनका बचपन का नाम ‘वर्धमान’ था, इन्होंने अपना जीवन संतुलित और आदर्श स्थापित के लिए समर्पित कर दिया। महावीर स्वामी ने अपने उपदेशों में सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, और ब्रहाचर्य के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को बताया और समस्त मानवता को एक उच्च आदर्श की दिशा में प्रेरित किया।

महावीर स्वामी के प्रभाव से ही बड़े-बड़े राजा, राजकुमार, और राजकुमारियाँ उनके शिष्य बन गए, और उनके उपदेशों का अनुसरण करने लगे। उनका अंतिम समय पावापुरी में बीता, जहाँ उन्होंने निरन्तर उपदेश देते हुए दीपावली की रात को निर्वाण प्राप्त किया।

महावीर स्वामी की जीवनी हमें एक उदाहरण प्रदान करती है कि सच्चे आध्यात्मिक जीवन का मार्ग कैसा होना चाहिए और कैसे हम सभी मानव एक उच्च दृष्टिकोण और नैतिकता के साथ अपने जीवन को महत्वपूर्ण बना सकते हैं।

प्रश्न-1 महावीर स्वामी, जैन धर्म कौनसे तीर्थंकर के रूप में विश्व में पूजे जाते हैं?

प्रश्न-2 महावीर स्वामी का जन्म कहाँ और किस तिथि को हुआ था?

प्रश्न-3 महावीर स्वामी के बचपन का क्या नाम था?

प्रश्न-4 महावीर स्वामी का अंतिम समय कहाँ बीता?

प्रश्न-5 महावीर स्वामी के माता-पिता का क्या नाम था?

अपठित गद्यांश -5 के उत्तर :-

उत्तर-1. महावीर स्वामी, जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर के रूप में विश्व में पूजे जाते हैं।

उत्तर-2. महावीर स्वामी का जन्म वैशाली के कुण्डग्राम में चैत्र सुदी त्रयोदशी को हुआ था।

उत्तर-3. महावीर स्वामी के बचपन का नाम ‘वर्धमान’ था।

उत्तर-4. उनका अंतिम समय पावापुरी में बीता।

उत्तर-5. महावीर स्वामी की माता का नाम त्रिशला और पिता का नाम सिद्धार्थ था।





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