यह पोस्ट अपठित गद्यांश कक्षा 5 (Apathit Gadyansh For Class 5) पर आधारित है, कक्षा 5 के छात्रों को अपठित गद्यांश पढ़ते रहना चाहिए ताकि उनकी समझने की क्षमता में सुधार हो। इन अपठित गद्यांश से छात्रों कि पढने की क्षमता भी बढ़ती है और उनमे लिखित सामग्री को समझने और व्याख्या करने की क्षमता विकसित करती है। इन अभ्यासों में आमतौर पर कुछ प्रश्न शामिल होते हैं जो पाठ की समझ और क्रियात्मक सोच की जाँच करते हैं, जिससे सामान्य भाषा कौशल में सुधार होता है।
Table of Contents
Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश -1
Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 5 (Apathit Gadyansh for class 5) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-
लालची ऊँट
एक बार एक व्यक्ति के पास एक ऊंट था, यह ऊँट बहुत लालची था। एक रात ठंड में जब ऊंट का मालिक अपने तंबू में सो रहा था तब ऊंट ने तंबू के दरवाजे को हिलाया और अपने मालिक से कहा की बाहर बहुत ठंड है कृपा कर मुझे अपनी गर्दन अपने तंबू में रखने दो, मालिक उसकी इस बात को मान लेता है, ऊंट ने अपनी गर्दन तंबू में रख ली।
थोड़ी देर बाद ऊंट अपने मालिक से कहता है की मेरे अगले पैर ठंड के कारण कांप रहे रहे है आपका बड़ा उपकार होगा अगर आप थोड़ा एक तरफ हो जायेंगे ताकि मैं अपने अगले पैर अंदर कर सकूं। मालिक ने ऊंट की ये बात भी मान ली और थोड़ा एक तरफ होकर सो गया, फिर से ऊंट बोला की मेरे पिछले पैर तो ठंड से जम ही गए है, आप कृप्या करके कोने में सो जाओ, ताकि मैं अपने पिछले पैर अंदर कर लूं।
मालिक को सोना था इसलिए वो एक कोने में जा कर सो गया और ऊंट पूरा अंदर आ गया। फिर ऊंट बोला की मेरा शरीर बहुत बड़ा है और तुम्हारा तंबू बहुत छोटा है, तुम्हारी वजह से मैं हिल भी नहीं पा रहा हूं, तुम इस तंबू से बाहर चले जाना चाहिए ताकि मैं आराम से हिल सकू।
उसका मालिक उठ कर बैठ गया और ऊंट को देखकर सोचने लगा की गलती मेरी ही है जो मैंने इसे अपने तंबू में आने दिया, इतने में ही ऊंट ने उसे तंबू से बाहर ठंड में धकेल दिया।
शिक्षा: “लालची व्यक्ति कभी भी संतुष्ट नहीं होता।”
प्रश्न-1. ऊंट का मालिक कहां सो रहा था?
प्रश्न-2. ऊंट ने अपने मालिक से पहली बार क्या कहा?
प्रश्न-3. गर्दन अंदर करने के बाद ऊंट ने अपने शरीर के किस हिस्से को अंदर करना चाहता था?
प्रश्न-4. अंत में ऊंट ने मलिक के साथ क्या किया?
प्रश्न-5. यह कहानी हमें क्या शिक्षा देती है?
अपठित गद्यांश -1 के उत्तर :-उत्तर-1. ऊंट का मालिक अपने तंबू में सो रहा था।
उत्तर-2.. ऊंट ने अपने मालिक से कहा की बाहर बहुत ठंड है कृपा कर मुझे अपनी गर्दन अपने तंबू में रखने दो।
उत्तर-3. गर्दन अंदर करने के बाद ऊंट अपने अगले पैरों को अंदर करना चाहता था
उत्तर-4. अंत में उठने मलिक को तंबू से बाहर धकेल दिया।
उत्तर-5. यह कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि लालची व्यक्ति कभी संतुष्ट नहीं होता।
Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश -2
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एक बार की बात है, एक जंगल में, ओलिवर नाम का एक बुद्धिमान बूढ़ा उल्लू रहता था। वह एक शानदार बड़े ओक के पेड़ पर रहता था। ओलिवर के रोएँदार पंख भूरे रंग के थे, और उसकी बड़ी, गोल आँखें ज्ञान से चमकती रहती थीं।
अक्सर जंगल के जानवर ओलिवर से सलाह लेने के लिए उसके पास आते थे। जब ओलिवर अपना ज्ञान साझा करता था तो गिलहरियाँ, खरगोश और यहाँ तक कि जिज्ञासु रैकून भी ध्यान से सुनते थे।
ओलिवर की एक पसंदीदा कहावत थी, “धैर्य जंगल के रहस्यों को समझने की कुंजी है।” उनका मानना था कि अवलोकन और प्रतीक्षा करके कोई भी प्रकृति से मूल्यवान सबक सीख सकता है।
जैसे-जैसे समय बीतता गया, जानवरों में न केवल ओलिवर के प्रति सम्मान बढ़ा बल्कि उसके प्रति श्रद्धा भी बढ़ी। ओलिवर ने सभी जानवरों को सद्भाव से जीवन यापन करना सिखाया।
प्रश्न-1. इस कहानी में उल्लू का क्या नाम था ?
प्रश्न-2. वह बुद्धिमान उल्लू कहां रहता था?
प्रश्न-3.अक्सर जंगल के जानवर ओलिवर के पास क्यों आते थे ?
प्रश्न-4.ओलिवर की एक पसंदीदा कहावत क्या थी ?
प्रश्न-5. ओलिवर ने सभी जानवरों को क्या सिखाया?
अपठित गद्यांश -2 के उत्तर :-उत्तर-1. इस कहानी में उल्लू का नाम ओलिवर था
उत्तर-2. वह बुद्धिमान उल्लू ओक के पेड़ में रहता था
उत्तर-3. अक्सर जंगल के जानवर ओलिवर से सलाह लेने के लिए उसके पास आते थे।
उत्तर-4. ओलिवर की एक पसंदीदा कहावत थी, कि “धैर्य जंगल के रहस्यों को समझने की कुंजी है।”
उत्तर-5. ओलिवर ने सभी जानवरों को सद्भाव से जीवन यापन करना सिखाया।
Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश -3
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गौतम बुद्ध
गौतम बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु में हुआ था। इनके पिता शुद्धोधन कपिलवस्तु के राजा थे। गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। सिद्धार्थ बचपन से ही दयालु थे। युवावस्था में ही सिद्धार्थ ने अपना घर-परिवार, सुख-
सुविधा और राज-पाट छोड़ दिया और सत्य की खोज में जंगल में तपस्या करने लगे। गौतम बुद्ध को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी व बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की शुरुआत की थी।
प्रश्न-1.गौतम बुद्ध का जन्म कहा हुआ था ?
प्रश्न-2.गौतम बुद्ध के बचपन का नाम क्या था?
प्रश्न-3. गौतम बुद्ध के पिता क्या नाम था और वो कहां के राजा थे ?
प्रश्न-4.गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहां हुई थी ?
प्रश्न-5. बौद्ध धर्म की शुरुआत किसने थी ?
अपठित गद्यांश -3 के उत्तर :-उत्तर-1. गौतम बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु में हुआ था।
उत्तर-2. गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था।
उत्तर-3. गौतम बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोधन था ये कपिलवस्तु के राजा थे।
उत्तर-4. गौतम बुद्ध को बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
उत्तर-5. गौतम बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की शुरुआत की थी।
Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश -4
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चींटी और तोता
एक बार, गर्मी से परेशान एक चींटी पानी ढूंढ रही थी। थोड़ी देर यहाँ- वहां भटकने के बाद वह एक नदी के पास पहुंची। नदी तक पहुँचने के लिए उसे घास के एक तिनके पर चढ़ना पड़ा। तिनके के ऊपर चढ़ते समय उसका पैर फिसल गया और वह नदी में गिर गई।
पास में ही बरगद के पेड़ पर बैठा एक तोता यह सब देख रहा था। चींटी को मुसीबत में देखकर, उस तोते ने जल्दी से एक पत्ता तोड़ा और उसे संघर्ष कर रही चींटी के पास पानी में गिरा दिया। चींटी पत्ते की ओर बढ़ी और उसके उपर चढ़ गई। जल्द ही यह पत्ता उसे सुरक्षित रूप से सूखी जमीन पर ले गया। ठीक उसी समय, पास में ही एक शिकारी उस तोते को अपने जाल में फँसाने की आशा से अपना जाल उसकी ओर फेंकने ही वाला था।
चींटी उस शिकारी के इरादे को समझ गयी, तोते को उस शिकारी के जाल से बचाने के लिए चींटी ने तुरंत उसके पैर पर काट लिया। दर्द महसूस करते हुए शिकारी ने अपना जाल निचे फेंक दिया। तोता यह सब देखकर तुरंत वहां से उड़ गया और किसी सुरक्षित स्थान पर जा कर बैठ गया।
सीख- “कर भला तो हो भला”
प्रश्न-1 गर्मी से परेशान चींटी क्या ढूंढ रही थी।
प्रश्न-2 यहाँ- वहां भटकने के बाद वो चींटी कहाँ पहुंची।
प्रश्न-3 चींटी को पानी में डूबने से किसने बचाया?
प्रश्न-4 तोते को जाल में फंसने से किसने बचाया?
प्रश्न-5 इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
अपठित गद्यांश -4 के उत्तर :-उत्तर-1. गर्मी से परेशान चींटी पानी ढूंढ रही थी।
उत्तर-2.यहाँ- वहां भटकने के बाद वह एक नदी के पास पहुंची।
उत्तर-3.चींटी को पानी में डूबने से तोते ने बचाया।
उत्तर-4.तोते को जाल में फंसने से चींटी ने बचाया।
उत्तर-5. इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि “कर भला तो हो भला”।
Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश -5
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महावीर स्वामी
महावीर स्वामी, जिनके चौबीसवें तीर्थंकर के रूप में विश्व में पूजे जाते हैं, भारतीय समाज के अनमोल धरोहर में से एक हैं। उनका जन्म वैशाली के कुण्डग्राम में हुआ था और उनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था वे, इनकी जन्मतिथि चैत्र सुदी त्रयोदशी थी
उनका बचपन का नाम ‘वर्धमान’ था, इन्होंने अपना जीवन संतुलित और आदर्श स्थापित के लिए समर्पित कर दिया। महावीर स्वामी ने अपने उपदेशों में सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, और ब्रहाचर्य के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को बताया और समस्त मानवता को एक उच्च आदर्श की दिशा में प्रेरित किया।
महावीर स्वामी के प्रभाव से ही बड़े-बड़े राजा, राजकुमार, और राजकुमारियाँ उनके शिष्य बन गए, और उनके उपदेशों का अनुसरण करने लगे। उनका अंतिम समय पावापुरी में बीता, जहाँ उन्होंने निरन्तर उपदेश देते हुए दीपावली की रात को निर्वाण प्राप्त किया।
महावीर स्वामी की जीवनी हमें एक उदाहरण प्रदान करती है कि सच्चे आध्यात्मिक जीवन का मार्ग कैसा होना चाहिए और कैसे हम सभी मानव एक उच्च दृष्टिकोण और नैतिकता के साथ अपने जीवन को महत्वपूर्ण बना सकते हैं।
प्रश्न-1 महावीर स्वामी, जैन धर्म कौनसे तीर्थंकर के रूप में विश्व में पूजे जाते हैं?
प्रश्न-2 महावीर स्वामी का जन्म कहाँ और किस तिथि को हुआ था?
प्रश्न-3 महावीर स्वामी के बचपन का क्या नाम था?
प्रश्न-4 महावीर स्वामी का अंतिम समय कहाँ बीता?
प्रश्न-5 महावीर स्वामी के माता-पिता का क्या नाम था?
अपठित गद्यांश -5 के उत्तर :-उत्तर-1. महावीर स्वामी, जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर के रूप में विश्व में पूजे जाते हैं।
उत्तर-2. महावीर स्वामी का जन्म वैशाली के कुण्डग्राम में चैत्र सुदी त्रयोदशी को हुआ था।
उत्तर-3. महावीर स्वामी के बचपन का नाम ‘वर्धमान’ था।
उत्तर-4. उनका अंतिम समय पावापुरी में बीता।
उत्तर-5. महावीर स्वामी की माता का नाम त्रिशला और पिता का नाम सिद्धार्थ था।
Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश -6
Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 5 (Apathit Gadyansh for class 5) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-
गुसैल लड़का
किसी गाँव में एक गुसैल लड़का रहता था। वह और उसका परिवार उसके गुस्से से बहुत परेशान थे क्योंकि वह गुस्से में लोगों से बहुत गलत व्यव्हार करता था।
यह देखकर लड़के के पिता उसे एक संत के पास ले गये, संत ने जब पूरी बात को ध्यान से सुना तब उसने कीलों से भरा एक थैला उस गुसैल लड़के को दिया। उन्होंने उससे कहा, “जब भी तुम्हें गुस्सा आये तो उसमें से एक कील निकालकर घर के लकड़ी के दरवाजे पर ठोक देना। उस लड़के ने ऐसा ही किया।
जब भी उसे गुस्सा आता तो वह थैले से एक कील निकालकर उसे घर के लकड़ी के दरवाजे पर ठोक देता। उसने पाया कि उसने पहले ही दिन में 40 कीलें ठोकीं और यह देखकर वह हैरान रह गया।
धीरे-धीरे उन्होंने अपने गुस्से पर काबू पाना शुरू कर दिया और एक दिन ऐसा आया कि उन्हें एक भी कील ठोकने की जरूरत नहीं पड़ी।
जब उसने यह बात जा कर उस संत को बताई तो संत ने उससे कहा, “जब भी तुम्हें गुस्सा आता है तो तुम उस लकड़ी के दरवाजे पर कील ठोंक देते हो। परिणामस्वरूप, दरवाजे में कई छेद हो गए और यह पहले जैसा कभी नहीं होगा। उसी तरह गुस्सा भी लोगों को सिर्फ घाव देता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितनी बार माफ़ी मांगते हैं।
प्रश्न-1 गुसैल लड़के के पिता उसे किसके पास ले गये?
प्रश्न-2 संत ने पूरी बात सुनकर उस गुसैल लड़के को क्या दिया?
प्रश्न-3 संत ने लड़के को कीलें कहाँ ठोकने के लिए कहा?
प्रश्न-4 लड़के ने पहले दिन कितनी कीलें दरवाजे पर ठोक दी?
प्रश्न-5 संत के कहे अनुसार गुस्सा लोगों को क्या देता है?
अपठित गद्यांश -6 के उत्तर :-उत्तर-1. गुसैल लड़के के पिता उसे एक संत के पास ले गये।
उत्तर-2.संत ने पूरी बात सुनकर कीलों से भरा एक थैला उस गुसैल लड़के को दिया।
उत्तर-3. संत ने लड़के को कीलें घर पर लकड़ी के दरवाजे पर ठोकने के लिए कहा।
उत्तर-4. उसने पहले ही दिन में 40 कीलें ठोक दी।
उत्तर-5. संत के कहे अनुसार गुस्सा लोगों को घाव देता है।
Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश -7
Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 5 (Apathit Gadyansh for class 5) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-
गुरुनानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा, 20 अक्टूबर 1469 ई. को माता तृप्ता की कोख से तलवण्डी नामक स्थान पर हुआ था। गुरुनानक देव जी ने समाज में व्याप्त जातिवाद, आपसी भेद-भाव, को दूर करने का निश्चय किया तथा हिन्दू समाज में छायी जर्जरता को देखकर उनका मन हुआ कि हम हिन्दुओं को सबल बनकर स्वयं की रक्षा करनी होगी और अंधविश्वास और पारस्परिक भेद-भाव को मिटाना आवश्यक है।
अतः उन्होंने अपने क्रियात्मक उपदेशों के द्वारा घूम-घूम कर लोगों को ज्ञान देना आरम्भ किया। वे आजीवन लोगों को नेकी और परोपकार की राह पर चलने का उपदेश देते रहे। उनकी शिक्षाओं का असर हिन्दुओं के विभिन्न सम्प्रदायों, के साथ सैकड़ों निष्पक्ष मुसलमानों पर भी पड़ा। सन् 1538 में उनका देहांत होने पर सबने मिलकर उनका अंतिम संस्कार किया और हजारों कंठों से यही आवाज निकली-
गुरुनानक शाह फकीर ।
हिन्दू का गुरु मुसलमान का पीर ।।
प्रश्न-1 गुरुनानक देव जी का जन्म कब हुआ था?
प्रश्न-2 गुरु नानक देव जी की माता का क्या नाम था?
प्रश्न-3 गुरु नानक देव जी का जन्म किस स्थान पर हुआ?
प्रश्न-4 गुरु नानक देव जी का देहांत कब हुआ था?
प्रश्न-5 गुरु नानक देव जी के अंतिम संस्कार के समय उनके हजारों अनुयायियों के मुंह से क्या आवाज निकली?
अपठित गद्यांश -7 के उत्तर :-उत्तर-1. गुरुनानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा, 20 अक्टूबर 1469 को हुआ था।
उत्तर-2. गुरु नानक देव जी की माता का नाम तृप्ता था।
उत्तर-3. गुरु नानक देव जी का जन्म तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था।
उत्तर-4. गुरु नानक देव जी का देहांत 1538 में हुआ था।
उत्तर-5. उनके अंतिम संस्कार के समय उनके अनुयायियों के मुंह से आवाज निकली-
गुरुनानक शाह फकीर ।
हिन्दू का गुरु मुसलमान का पीर ।।
Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश -8
Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 5 (Apathit Gadyansh for class 5) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-
एक बार एक गरीब नाई जो अपने काम में बहुत माहिर और इमानदार था एक दिन काम से वापस लौटते समय वह यह सोचने लगा कि आज खाने में क्या बनाऊं, तभी उसे वहां एक मुर्गी की आवाज सुनाई दी उसे देखकर उसने सोचा कि यह मेरा आज का भोजन बन सकती है, और इतना सोचकर उसने उस मुर्गी को थोड़े ही प्रयास में पकड़ लिया और उसे अपने घर ले गया।
जब वह उस मुर्गी को काटने ही वाला था तभी वह मुर्गी बोल पड़ी, मुर्गी कहने लगी की मेरी जान बख्श दो मैं तुम्हें रोज एक सोने का अंडा दूंगी। वह व्यक्ति इस बात से हैरान था कि मुर्गी बोलती है, लेकिन उसके द्वारा किए गए इस वादे पर उसे ज्यादा आश्चर्य था।
उसने मुर्गी को छोड़ दिया और अगले दिन का इंतजार किया अगले सुबह वह मुर्गी झोंपड़ी के बाहर बैठी थी और उसके पास में एक सोने का अंडा पड़ा हुआ था। यह बात सत्य थी कि वह एक सोने का अंडा देने वाली मुर्गी थी। उसने यह बात किसी को भी नहीं बताई क्योंकि उसे यह डर था कि कहीं कोई और व्यक्ति इस मुर्गी को उससे छीन ना ले।
प्रश्न-1 काम से वापस लौटते समय वह नाई क्या सोच रहा था?
प्रश्न-2 नाई को रास्ते में क्या दिखाई दिया?
प्रश्न-3 जब वह उस मुर्गी को काटने वाला था तब क्या हुआ?
प्रश्न-4 मुर्गी ने उस नाइ को क्या देने का वादा किया?
प्रश्न-5 क्या सच में उसे मुर्गी ने सोने का अंडा दिया?
अपठित गद्यांश -8 के उत्तर :-उत्तर-1. काम से वापस लौटते समय वह नाई सोच रहा था कि आज खाने में क्या बनाऊं
उत्तर-2. नाई को रास्ते में एक मुर्गी दिखाई दी।
उत्तर-3. जब वह मुर्गी को काटने ही वाला था तब वह मुर्गी बोल पड़ी कि मुझे छोड़ दो।
उत्तर-4. मुर्गी ने नई को वादा किया कि अगर वह उसे छोड़ देगा तो वह उसे रोज एक सोने का अंडा देगी।
उत्तर-5. हां अगली सुबह उस मुर्गी ने एक सोने का अंडा दिया था।
Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश -9
Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 5 (Apathit Gadyansh for class 5) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-
एक बार एक शेर जंगल में पेड़ के नीचे आराम कर रहा था तभी उधर से एक चूहा फुदकते हुए शेर की पूंछ से उसके ऊपर चढ़ गया, और शेर के विशाल शरीर के ऊपर कूदने लगा। चूहे की इस हरकत से शेर की नींद खुल गई, और उसने चूहे को अपने पंजे में दबोच लिया। और खाने ही लगा तभी चूहे ने विनम्रता से शेर माफ़ी कि गुहार लगाई साथ ही ये कहा, कि मैं कभी आपके काम आऊंगा। शेर ने चूहे की इस बात पर हंसते हुए उसे छोड़ दिया और कह कि तू इतना छोटा है मेरे क्या काम आएगा।
कुछ दिन बाद कुछ शिकारियों ने उस शेर को पकड़ने के लिए जंगल में जाल बिछा दिया। शेर उस जाल में फंस गया और निराशा से सहायता के लिए दहाड़ने लगा, तभी संयोगवश वह चूहा वहां से जा रहा था उसने उस शेर को मुसीबत में देखा, और उसके जाल को अपने तीखे दांतों से काट दिया और उसे उन शिकारियों के चंगुल से मुक्त कर दिया, तब से वे दोनों पक्के दोस्त बन गये।
सीख – “हमें किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए”
प्रश्न-1 शेर पेड़ के नीचे क्या कर रहा था?
प्रश्न-2 कौन शेर के शरीर के ऊपर चढ़ गया और फुदकने लगा?
प्रश्न-3 चूहे ने शेर से क्या गुहार लगाई?
प्रश्न-4 शेर को मुसीबत से किसने बचाया?
प्रश्न-5 इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
अपठित गद्यांश -9 के उत्तर :-उत्तर-1. शेर पेड़ के नीचे आराम कर रहा था।
उत्तर-2. एक चूहा शेर के शरीर के ऊपर चढ़ गया और फुदकने लगा।
उत्तर-3. चूहे ने शेर से गुहार लगाई कि अगर वह उसे छोड़ देगा तो वह कभी उसके काम आएगा।
उत्तर-4. चूहे ने शेर को मुसीबत से बचाया।
उत्तर-5. इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए।
Apathit Gadyansh For Class 5 | अपठित गद्यांश -10
Directions:- निम्नलिखित अपठित गद्यांश कक्षा 5 (Apathit Gadyansh for class 5) को ध्यान से पढ़ें और इन अपठित गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें:-
महाप्रभु चैतन्य का जन्म मायापुर, नदिया ग्राम में हुआ था। उसके पिता का नाम जगन्नाथ व माता का नाम शची था। महाप्रभु चैतन्य के बचपन का नाम ‘गौरांग’ था। गौरांग बचपन से ही भगवत भक्ति में लीन रहते थे। बड़े होकर महाप्रभु चैतन्य हिन्दू और हिन्दू धर्म की उस दुर्दशा को देखकर बहुत आहत हुए।
उनकी समाजभावी आत्मा उसकी रक्षा के लिए तड़प उठी। उनके पास भक्ति और साधना के अलावा कोई रास्ता एवं साधन नहीं था ,यही साधन संसार के समस्त साधनों से अधिक शक्तिशाली सिद्ध हुआ और उन्होंने सच्चाई के साथ जनकल्याण हेतु भगवत भक्ति का प्रचार किया। हिन्दुओं में भक्ति की एक अलख जगाई और धर्म जागरण का अनूठा कार्य भी किया।
प्रश्न-1 महाप्रभु चैतन्य का जन्म कहां हुआ था?
प्रश्न-2 चैतन्य के पिता का क्या नाम था?
प्रश्न-3 चैतन्य का बचपन का नाम क्या था?
प्रश्न-4 प्रभु चैतन्य किस बात से आहत हुए?
प्रश्न-5 उनके पास ________ के अलावा कोई रास्ता एवं साधन नहीं था?
अपठित गद्यांश -10 के उत्तर :-उत्तर-1. महाप्रभु चैतन्य का जन्म मायापुर, नदिया ग्राम में हुआ था।
उत्तर-2. चैतन्य के पिता का नाम जगन्नाथ था।
उत्तर-3. चैतन्य के बचपन का नाम गौरांग था।
उत्तर-4. महाप्रभु चैतन्य हिन्दू और हिन्दू धर्म की उस दुर्दशा को देखकर बहुत आहत हुए।
उत्तर-5. उनके पास भक्ति और साधना के अलावा कोई रास्ता एवं साधन नहीं था।
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